सर्वोच्च न्यायालय ने राजनीतिक दलों को चुनावी बांड की जानकारी चुनाव आयोग को देने के लिए कहा
देश के सर्वोच्च न्यायालय ने राजनीतिक दलों को चुनावी बांड की जानकारी चुनाव आयोग
को देने के लिए कहा है। राजनीतिक दलों को चुनावी बांड से प्राप्त धनराशी को जानकारी
चुनाव आयोग को 30 मई से पहले देनी होगी, इसमें 15 मई तक जारी किये गये चुनावी
बांड्स शामिल होंगे। पारदर्शिता की दृष्टि से यह आवश्यक था।
को देने के लिए कहा है। राजनीतिक दलों को चुनावी बांड से प्राप्त धनराशी को जानकारी
चुनाव आयोग को 30 मई से पहले देनी होगी, इसमें 15 मई तक जारी किये गये चुनावी
बांड्स शामिल होंगे। पारदर्शिता की दृष्टि से यह आवश्यक था।
चुनावी बांड क्या है?
चुनावी बांड प्रामिसरी नोट की तरह है जिसका भुगतान धारक को किया जाता है, यह ब्याज
मुक्त होता है। इसे भारत के किसी भी नागरिक अथवा भारत में गठित किसी संस्था द्वारा
खरीदा जा सकता है।
मुक्त होता है। इसे भारत के किसी भी नागरिक अथवा भारत में गठित किसी संस्था द्वारा
खरीदा जा सकता है।
चुनावी बांड के लाभ
- राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता
- राजनीतिक चंदा देने वाले लोगों की उत्पीड़न से रक्षा
- तीसरे पक्ष को सूचना का खुलासा नहीं
- राजनीतिक चंदे को कर के दायरे में लाना
चुनावी बांड योजना 2018
इस योजना के अनुसार जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत पंजीकृत राजनीतिक
दल जिसे पिछले चुनावों में कम से कम 1% वोट प्राप्त हुए हों, वह दल चुनावी बांड्स प्राप्त
कर सकता है। चुनावी बांड केवल भारतीय नागरिक द्वारा की खरीदे जा सकते हैं, यह बांड
अकेले अथवा किसी के साथ मिलकर संयुक्त रूप से भी खरीदे जा सकते हैं। राजनीतिक
दल द्वारा इन चुनावी बांड्स को केवल औथोराइज्ड बैंक में मौजूद खाते में ही एनकैश किया
जा सकता है। यह चुनावी बांड जारी करने के 15 कैलेंडर दिवस तक मान्य होते हैं, वैधता की
अवधि समाप्त हो जाने के बाद चुनावी बांड से राजनीतिक दल को भुगतान नहीं किया जा
सकेगा। इन बांड्स को 1000, 10000, 1 लाख, 10 लाख तथा 1 करोड़ रुपये की राशि के रूप
में जारी किया जाता है। नकद राजनीतिक चंदे की अधिकतम सीमा 2000 रुपये निश्चित की
गयी है, इससे अधिक की राशि को चुनावी बांड के द्वारा ही देना होगा।
दल जिसे पिछले चुनावों में कम से कम 1% वोट प्राप्त हुए हों, वह दल चुनावी बांड्स प्राप्त
कर सकता है। चुनावी बांड केवल भारतीय नागरिक द्वारा की खरीदे जा सकते हैं, यह बांड
अकेले अथवा किसी के साथ मिलकर संयुक्त रूप से भी खरीदे जा सकते हैं। राजनीतिक
दल द्वारा इन चुनावी बांड्स को केवल औथोराइज्ड बैंक में मौजूद खाते में ही एनकैश किया
जा सकता है। यह चुनावी बांड जारी करने के 15 कैलेंडर दिवस तक मान्य होते हैं, वैधता की
अवधि समाप्त हो जाने के बाद चुनावी बांड से राजनीतिक दल को भुगतान नहीं किया जा
सकेगा। इन बांड्स को 1000, 10000, 1 लाख, 10 लाख तथा 1 करोड़ रुपये की राशि के रूप
में जारी किया जाता है। नकद राजनीतिक चंदे की अधिकतम सीमा 2000 रुपये निश्चित की
गयी है, इससे अधिक की राशि को चुनावी बांड के द्वारा ही देना होगा।
जलियांवाला बाग़ हत्याकांड की 100वीं वर्षगाँठ
आज 13, अप्रैल 2019 को वीभत्स जलियांवाला बाग़ हत्याकांड की 100वीं वर्षगाँठ है। 13 अप्रैल,
1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग़ में सैंकड़ों निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया
गया था। यह भारत के इतिहास का सबसे दुखद नरसंहार है।
1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग़ में सैंकड़ों निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया
गया था। यह भारत के इतिहास का सबसे दुखद नरसंहार है।
पृष्ठभूमि
ब्रिटिश सरकार ने भारतीय क्रांतिकारियों का दमन करने के लिए रॉलेट एक्ट पारित किया
था, इस अधिनियम के तहत बिना अपील, बिना दलील के लोगों को जेल में डाला जा सकता
था।गांधीजी ने इस कानून के विरुद्ध अभियान शुरू किया। इस कानून के विरुद्ध देश के
विभिन्न हिस्सों में लोगों में एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन किया। इसकी दो राष्ट्रीय नेताओं
सत्यपाल सिंह और सैफुद्दीन किचलू को गिरफ्तार किया। उनकी गिरफ्तारी के विरुद्ध लोग
जलियांवाला बाग़ में एकत्रित हुए थे। ब्रिटिश अधिकार जनरल डायर के आदेश पर सैनिकों
ने निर्दोष लोगों पर अंधाधुंध गोलियां चलाई। ब्रिटिश सरकार के रिकॉर्ड के अनुसार इस
घटना में 379 लोगों की मृत्यु हुई और हजारों लोगों घायल हुए। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के
मुताबिक इस घटना में लगभग 1,000 लोगों की मृत्यु हुई थी।
था, इस अधिनियम के तहत बिना अपील, बिना दलील के लोगों को जेल में डाला जा सकता
था।गांधीजी ने इस कानून के विरुद्ध अभियान शुरू किया। इस कानून के विरुद्ध देश के
विभिन्न हिस्सों में लोगों में एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन किया। इसकी दो राष्ट्रीय नेताओं
सत्यपाल सिंह और सैफुद्दीन किचलू को गिरफ्तार किया। उनकी गिरफ्तारी के विरुद्ध लोग
जलियांवाला बाग़ में एकत्रित हुए थे। ब्रिटिश अधिकार जनरल डायर के आदेश पर सैनिकों
ने निर्दोष लोगों पर अंधाधुंध गोलियां चलाई। ब्रिटिश सरकार के रिकॉर्ड के अनुसार इस
घटना में 379 लोगों की मृत्यु हुई और हजारों लोगों घायल हुए। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के
मुताबिक इस घटना में लगभग 1,000 लोगों की मृत्यु हुई थी।
विश्व के सबसे शक्तिशाली ऑपरेशनल राकेट फाल्कन
हैवी की पहली वाणिज्यिक उड़ान सफल रही
अमेरिकी निजी अन्तरिक्ष कंपनी स्पेस एक्स ने हाल ही में विश्व के सबसे शक्तिशाली ऑपरेशन
राकेट “फाल्कन हैवी” की पहली वाणिज्यिक उड़ान सफलतापूर्वक लांच की। इस राकेट
को अमेरिका के फ्लोरिडा में केप कैनवेरल से लांच किया गया। इस राकेट के द्वारा 6 टन
भार वाला अरबसैट-6A उपग्रह पृथ्वी से 36,000 किलोमीटर ऊपर कक्षा में स्थापित किया
जायेगा। यह एक री-यूजेबल रॉकेट् (पुनः इस्तेमाल किये जा सकने वाले राकेट) है, इसमें
तीन बूस्टर्स का उपयोग किया गया था। गौरतलब है कि अपना कार्य करने के बाद यह
बूस्टर मुख्य राकेट से अलग होकर ज़मीन पर वापस आ गये और यह तीनों बूस्टर सुरक्षित
लैंडिंग साईट पर उतर गये। फाल्कन हैवी राकेट 5.1 मिलियन पौंड का बल (थ्रस्ट) उत्पन्न
करता है, इतना अधिक थ्रस्ट एक दर्ज़न से अधिक जेटलाइनर मिलकर उत्पन्न करते हैं।
राकेट “फाल्कन हैवी” की पहली वाणिज्यिक उड़ान सफलतापूर्वक लांच की। इस राकेट
को अमेरिका के फ्लोरिडा में केप कैनवेरल से लांच किया गया। इस राकेट के द्वारा 6 टन
भार वाला अरबसैट-6A उपग्रह पृथ्वी से 36,000 किलोमीटर ऊपर कक्षा में स्थापित किया
जायेगा। यह एक री-यूजेबल रॉकेट् (पुनः इस्तेमाल किये जा सकने वाले राकेट) है, इसमें
तीन बूस्टर्स का उपयोग किया गया था। गौरतलब है कि अपना कार्य करने के बाद यह
बूस्टर मुख्य राकेट से अलग होकर ज़मीन पर वापस आ गये और यह तीनों बूस्टर सुरक्षित
लैंडिंग साईट पर उतर गये। फाल्कन हैवी राकेट 5.1 मिलियन पौंड का बल (थ्रस्ट) उत्पन्न
करता है, इतना अधिक थ्रस्ट एक दर्ज़न से अधिक जेटलाइनर मिलकर उत्पन्न करते हैं।
स्पेस एक्स
स्पेस एक्स एक निजी अमेरिका अन्तरिक्ष एजेंसी है। इसकी स्थापना एलोन मस्क द्वारा 6 मई
, 2002 को की गयी थी। एलोन मस्क स्पेस एक्स के वर्तमान सीईओ हैं। इस अन्तरिक्ष एजेंसी
की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य अन्तरिक्ष परिवहन की लागत कम करना तथा मंगल गृह पर
मानव बस्ती की स्थापना करना है। स्पेस एक्स ने फाल्कन रॉकेट्स की श्रृंखला तैयार की है।
अंतिरक्ष परिवहन की लागत को कम करने के लिए स्पेस एक्स ने री-यूजेबल रॉकेट्स (पुनः
इस्तेमाल किये जा सकने वाले राकेट) निर्मित किये हैं। इन रॉकेट्स के अधिकत्तर हिस्सों को
अन्य लांच में भी इस्तेमाल किया जाता है।
, 2002 को की गयी थी। एलोन मस्क स्पेस एक्स के वर्तमान सीईओ हैं। इस अन्तरिक्ष एजेंसी
की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य अन्तरिक्ष परिवहन की लागत कम करना तथा मंगल गृह पर
मानव बस्ती की स्थापना करना है। स्पेस एक्स ने फाल्कन रॉकेट्स की श्रृंखला तैयार की है।
अंतिरक्ष परिवहन की लागत को कम करने के लिए स्पेस एक्स ने री-यूजेबल रॉकेट्स (पुनः
इस्तेमाल किये जा सकने वाले राकेट) निर्मित किये हैं। इन रॉकेट्स के अधिकत्तर हिस्सों को
अन्य लांच में भी इस्तेमाल किया जाता है।
बेरेशीट स्पेसक्राफ्ट: इजराइल का स्पेसक्राफ्ट चन्द्रमा
पर क्रेश हुआ
इजराइल का चन्द्रमा मिशन असफल हो गया है, हाल ही में इजराइल का बेरेशीट स्पेसक्राफ्ट
चन्द्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया है। इजराइल के बेरेशीट स्पेसक्राफ्ट को चन्द्रमा की
सतह पर लैंड किया जा रहा था, उस समय मुख्य इंजन तथा संचार में खराबी आने के कारण
टच डाउन से कुछ ही समय पूर्व स्पेसक्राफ्ट चन्द्रमा की सतह पर गिरकर क्रेश हो गया। इस
घटना का जीवंत प्रसारण इजराइल के टीवी तथा सोशल मीडिया पर भी किया गया।
चन्द्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया है। इजराइल के बेरेशीट स्पेसक्राफ्ट को चन्द्रमा की
सतह पर लैंड किया जा रहा था, उस समय मुख्य इंजन तथा संचार में खराबी आने के कारण
टच डाउन से कुछ ही समय पूर्व स्पेसक्राफ्ट चन्द्रमा की सतह पर गिरकर क्रेश हो गया। इस
घटना का जीवंत प्रसारण इजराइल के टीवी तथा सोशल मीडिया पर भी किया गया।
स्पेस एक्स के फाल्कन 9 राकेट ने SpaceIL के लूनर लैंडर के साथ फ्लोरिडा से उड़ान भरी थी।
यदि यह मिशन सफल होता तो इजराइल रूस, अमेरिका और चीन जैसे देशों की सूची में शामिल
हो जाता जिन्होंने चन्द्रमा की सतह पर सफल नियंत्रित लैंडिंग की है।
यदि यह मिशन सफल होता तो इजराइल रूस, अमेरिका और चीन जैसे देशों की सूची में शामिल
हो जाता जिन्होंने चन्द्रमा की सतह पर सफल नियंत्रित लैंडिंग की है।
इजराइल का चन्द्रमा मिशन
- गौरतलब है कि इस मिशन की फंडिंग दान की गयी राशि से की गयी है, यह विश्व का
- पहला निजी लूनर लैंडर मिशन है। इस प्रोजेक्ट की लागत 100 (लगभग 700 करोड़ रुपये) है।
- स्पेसक्राफ्ट का नाम बेरेशीट रखा गया है, इसका भार 585 किलोग्राम है।
- यह स्पेसक्राफ्ट चन्द्रमा पर पहुँच कर वहां के चट्टानी धरातल की तस्वीरें भेजेगा तथा
- चन्द्रमा के चुम्बकीय क्षेत्र पर प्रयोग भी करेगा।
- हिब्रू भाषा में बाइबिल के पहले शब्द “शुरुआत में” के सन्दर्भ में इस स्पेसक्राफ्ट का
- नाम बेरेशीट रखा गया है।
चन्द्रमा पर लैंडिंग
- सबसे पहले सोवियत संघ ने लूना 2 के साथ चन्द्रमा पर 1959 में लैंडिंग की थी।
- इसके वर्ष बाद अमेरिका ने रेंजर 4 को चन्द्रमा की सतह पर उतारा था।
- लूना 2 और रेंजर 4 हार्ड लैंडिंग थीं अर्थात इन दोनों स्पेसक्राफ्ट को चन्द्रमा की सतह
- पर टकराया गया था।
- अमेरिका और सोवियत संघ ने 1966 में चन्द्रमा पर पहली बार नियंत्रित सॉफ्ट लैंडिंग की।
- चन्द्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला तीसरा देश चीन है, चीन ने 2013 में चंगेई 3 को
- चन्द्रमा की सतह पर लैंड किया था।
SpaceIL
SpaceIL एक गैर-लाभकारी कंपनी है, इसकी स्थापना आठ वर्ष पहले गूगल लूनर एक्स
प्राइज में हिस्सा लेने के लिए की गयी थी। गूगल लूनर एक्स प्राइज प्रतिस्पर्धा में चन्द्रमा की
सतह से हाई डेफिनिशन विडियो भेजना, लाइव ट्रांसमिशन, किसी भी दिशा में 500 मीटर
घूमने वाले निजी स्पेसक्राफ्ट के निर्माण शामिल था। परन्तु 2018 में इस कार्यक्रम को रद्द कर
दिया गया था क्योंकि बची हुई पांच टीमों में से कोई भी टीम मार्च तक की डेडलाइन को पूरा
नहीं कर सकी।
प्राइज में हिस्सा लेने के लिए की गयी थी। गूगल लूनर एक्स प्राइज प्रतिस्पर्धा में चन्द्रमा की
सतह से हाई डेफिनिशन विडियो भेजना, लाइव ट्रांसमिशन, किसी भी दिशा में 500 मीटर
घूमने वाले निजी स्पेसक्राफ्ट के निर्माण शामिल था। परन्तु 2018 में इस कार्यक्रम को रद्द कर
दिया गया था क्योंकि बची हुई पांच टीमों में से कोई भी टीम मार्च तक की डेडलाइन को पूरा
नहीं कर सकी।
तेलुगु कवि के. सिवा रेड्डी को प्रतिष्ठित सरस्वती सम्मान
2018 के लिए चुना गया
तेलुगु कवि के. सिवा रेड्डी को प्रतिष्ठित सरस्वती सम्मान 2018 के लिए चुना गया है, उन्हें यह
सम्मान उनके काव्य संग्रह “पक्काकी ओट्टीगिलिते” के लिए प्रदान किया जा रहा है।
सम्मान उनके काव्य संग्रह “पक्काकी ओट्टीगिलिते” के लिए प्रदान किया जा रहा है।
सरस्वती सम्मान
प्रतिवर्ष यह सम्मान संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज भाषाओं में प्रकाशित उत्कृष्ट साहित्यिक
कृति को दिया जाता है। यह सम्मान के. के. बिड़ला फ़ाउंडेशन द्वारा दिया जाने वाला साहित्य
पुरस्कार है। हिंदी के साहित्यकार डॉ॰ हरिवंश राय बच्चन को पहला सरस्वती सम्मान उनकी
चार खंडों की आत्मकथा के लिए दिया गया था। सरस्वती सम्मान की शुरुआत 1991 में बिरला
फाउंडेशन द्वारा की गयी थी। इस पुरस्कार के विजेता को 15 लाख रुपये, प्रशस्ति पत्र तथा
प्रतीक चिन्ह इनामस्वरुप दिए जाते हैं।
कृति को दिया जाता है। यह सम्मान के. के. बिड़ला फ़ाउंडेशन द्वारा दिया जाने वाला साहित्य
पुरस्कार है। हिंदी के साहित्यकार डॉ॰ हरिवंश राय बच्चन को पहला सरस्वती सम्मान उनकी
चार खंडों की आत्मकथा के लिए दिया गया था। सरस्वती सम्मान की शुरुआत 1991 में बिरला
फाउंडेशन द्वारा की गयी थी। इस पुरस्कार के विजेता को 15 लाख रुपये, प्रशस्ति पत्र तथा
प्रतीक चिन्ह इनामस्वरुप दिए जाते हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को रूस के सर्वोच्च सम्मान से
सम्मानित किया जायेगा
सम्मानित किया जायेगा
भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को रूस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान
“आर्डर ऑफ़ द होली अपोस्ल एंड्रू” से सम्मानित किया जाएगा, इसके
लिए हाल ही में भारत में रूसी दूतावास ने वक्तव्य जारी किया। प्रधानमंत्री
मोदी को यह सम्मान भारत और रूस के बीच सामरिक साझेदार को
मज़बूत करने और दोनों देशों के बीच मित्रता को बढ़ावा देने के लिए
दिया जा रहा है। अब तक इस सम्मान से सम्मानित किये जाने वाली
विदेशी नेता इस प्रकार हैं : अज़रबैजान के राष्ट्रपति हेदर अलियेव, कजाखस्तान के राष्ट्रपति
नूरसुल्तान नजरबायेव तथा चीन के शी जिनपिंग।
“आर्डर ऑफ़ द होली अपोस्ल एंड्रू” से सम्मानित किया जाएगा, इसके
लिए हाल ही में भारत में रूसी दूतावास ने वक्तव्य जारी किया। प्रधानमंत्री
मोदी को यह सम्मान भारत और रूस के बीच सामरिक साझेदार को
मज़बूत करने और दोनों देशों के बीच मित्रता को बढ़ावा देने के लिए
दिया जा रहा है। अब तक इस सम्मान से सम्मानित किये जाने वाली
विदेशी नेता इस प्रकार हैं : अज़रबैजान के राष्ट्रपति हेदर अलियेव, कजाखस्तान के राष्ट्रपति
नूरसुल्तान नजरबायेव तथा चीन के शी जिनपिंग।
हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात ने प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी को सर्वोच्च नागरिक सम्मान
“ज़ायेद मैडल” से सम्मानित करने की घोषणा की थी। यह प्रधानमंत्री मोदी का आठवाँ
अंतर्राष्ट्रीय सम्मान है।
“ज़ायेद मैडल” से सम्मानित करने की घोषणा की थी। यह प्रधानमंत्री मोदी का आठवाँ
अंतर्राष्ट्रीय सम्मान है।
विश्व जनसँख्या की स्थिति 2019
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र जनसँख्या फण्ड ने “स्टेट ऑफ़ वर्ल्ड पापुलेशन 2019” रिपोर्ट जारी की।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
- 2010 से 2019 के बीच भारत की वार्षिक जनसँख्या वृद्धि दर 1.2% रही, यह चीन की
- वार्षिक जनसँख्या वृद्धि दर से लगभग दुगनी है।
- 2019 में भारत की जनसँख्या लगभग 1.36 अरब पर पहुँच गयी है।
- चीन की जनसँख्या 2019 में 1.42 अरब पर पहुँच गयी है।
- 2010 से 2019 के बीच चीन की जनसँख्या वृद्धि दर 0.5% रही।
- 1969 में महिलाओं की प्रजनन दर 5.6 थी, 1994 में यह कम हो कर 3.7 तथा 2019 में 2.3 हो गयी।
- भारत ने जन्म के समय जीवन आकांक्षा दर में काफी सुधार किया है, 1947 में यह 47 वर्ष थी तथा अब 2019 में यह 69 वर्ष तक पहुँच गयी है।
- 1994 में भारत में मातृत्व मृत्यु अनुपात प्रति 1,00,000 जीवित जन्म पर 488 मृत्यु था, 2015 में यह दर 174 मौतें प्रति 1,00,000 जीवित जन्म है।
नजमा अख्तर बनीं जामिया मिलिया इस्लामिया
विश्वविद्यालय की पहली महिला वाईस-चांसलर
केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने हाल ही में नजमा अख्तर को जामिया मिलिया
इस्लामिया की वाईस-चांसलर नियुक्त किये जाने के बारे में वक्तव्य जारी किया।
नजमा अख्तर को राष्ट्रपति द्वारा पांच वर्ष के लिए नियुक्त किया गया है, वे इस
पद पर नियुक्त की जाने वाली पहली महिला हैं।
इस्लामिया की वाईस-चांसलर नियुक्त किये जाने के बारे में वक्तव्य जारी किया।
नजमा अख्तर को राष्ट्रपति द्वारा पांच वर्ष के लिए नियुक्त किया गया है, वे इस
पद पर नियुक्त की जाने वाली पहली महिला हैं।
प्रोफेसर नजमा अख्तर अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय से स्वर्ण पदक विजेता हैं।
उन्होंने शिक्षा में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की है। वे यूनिवर्सिटी
ऑफ़ वार्विक एंड नॉटिंगहम में कामनवेल्थ फेलो भी रही हैं। उन्होंने पेरिस में यूनेस्को
के अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा नियोजन संस्थान में भी प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
उन्होंने शिक्षा में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की है। वे यूनिवर्सिटी
ऑफ़ वार्विक एंड नॉटिंगहम में कामनवेल्थ फेलो भी रही हैं। उन्होंने पेरिस में यूनेस्को
के अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा नियोजन संस्थान में भी प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय
जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय नई दिल्ली में स्थित एक सार्वजनिक केन्द्रीय
विश्वविद्यालय है। इसकी स्थापना 29 अक्टूबर, 1920 को मुस्लिम नेताओं द्वारा ब्रिटिश
शासन के दौरान की गयी थी। डॉ. जाकिर हुसैन इस विश्वविद्यालय के प्रथम वाईस
चांसलर थे। मौलाना अली जौहर तथा मौलाना शौकत अली ने इस विश्वविद्यालय की
स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जामिया मिलिया इस्लामिया को भारतीय संसद
ने 1988 में एक अधिनियम के द्वारा केन्द्रीय विश्वविद्यालय बनाया गया था। मणिपुर की
राज्यपाल नजमा हेपतुल्लाह इस विश्वविद्यालय की चांसलर हैं।
विश्वविद्यालय है। इसकी स्थापना 29 अक्टूबर, 1920 को मुस्लिम नेताओं द्वारा ब्रिटिश
शासन के दौरान की गयी थी। डॉ. जाकिर हुसैन इस विश्वविद्यालय के प्रथम वाईस
चांसलर थे। मौलाना अली जौहर तथा मौलाना शौकत अली ने इस विश्वविद्यालय की
स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जामिया मिलिया इस्लामिया को भारतीय संसद
ने 1988 में एक अधिनियम के द्वारा केन्द्रीय विश्वविद्यालय बनाया गया था। मणिपुर की
राज्यपाल नजमा हेपतुल्लाह इस विश्वविद्यालय की चांसलर हैं।